" आश्री " संस्कृत मूल से लिया गया एक शब्द है । इसका अर्थ है रक्षक या संरक्षक । रक्षक का उद्देश्य है संभावित खतरों से बचाना और संरक्षक का अर्थ है आश्रय देने वाला और कल्याण करने वाला । तभी तो श्रीकृष्ण कहते हैं
" सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो, मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥
उक्त श्लोक में भगवान कहते हैं कि मेरी शरण में आ जा, हर प्रकार से तेरा कल्याण होगा, ये मैं वचन देता हूँ ।
आश्री शब्द का पहला अक्षर " आ " आनन्द सागर (भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम)" से लिया गया है जबकि " श्री " माता राधा या लक्ष्मी का एक नाम है । इससे ज्यादा महत्वपूर्ण एक बात और भी है । वो ये कि श्रीमद्भगवद्गीता मे भगवान श्रीकृष्ण ने सारा
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1989 के बाद कुछ वर्षों तक बैंकिंग कोचिंग संस्थान से जुड़ने का अवसर मिला । संस्थान द्वारा 1990 - 91 में हिन्दी माध्यम के प्रतियोगियों के लिए यूपीएससी, बिपीएससी की प्रशासकीय प्रतियोगिता परीक्षा हेतु हिन्दी में " ऑपरेशन केरियर " के नाम से मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरु किया गया ।
लगभग एक वर्ष तक इस पत्रिका का मैं अवैतनिक मुख्य संपादक रहा । वर्ष 1991 में भारत सरकार के उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं बिहार सरकार और इलाहाबाद बैंक द्वारा पोषित संस्था " उद्यमिता विकास संस्थान, पटना " से Resource person के रूप में जुड़ने का अवसर मिला ।
1989 के बाद कुछ वर्षों तक बैंकिंग कोचिंग संस्थान से जुड़ने का अवसर मिला । संस्थान द्वारा 1990 - 91 में हिन्दी माध्यम के प्रतियोगियों के लिए यूपीएससी, बिपीएससी की प्रशासकीय प्रतियोगिता परीक्षा हेतु हिन्दी में " ऑपरेशन केरियर " के नाम से मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरु किया गया । लगभग एक वर्ष तक इस पत्रिका का मैं अवैतनिक मुख्य
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